Chapter :- 14 प्राकृतिक संपदा (प्राकृतिक संसाधन)

Chapter :- 14 प्राकृतिक संपदा (प्राकृतिक संसाधन)

परिचय

प्राकृतिक संपदा या प्राकृतिक संसाधन वे सभी संसाधन हैं जो प्रकृति द्वारा हमें मुफ्त में प्रदान किए जाते हैं। ये संसाधन हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं और हमारे दैनिक जीवन, अर्थव्यवस्था और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सही तरीके से करना और उनका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है।


प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार

प्राकृतिक संसाधनों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  1. नवीकरणीय संसाधन (Renewable Resources):
  • ये संसाधन प्रकृति में लगातार पुनः उत्पन्न होते रहते हैं।
  • उदाहरण: सूर्य का प्रकाश, वायु, जल, मिट्टी, वन, जैव विविधता।
  • इनका उपयोग सतत (Sustainable) तरीके से किया जा सकता है।
  1. अनवीकरणीय संसाधन (Non-Renewable Resources):
  • ये संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और एक बार उपयोग करने के बाद खत्म हो जाते हैं।
  • उदाहरण: कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, खनिज।
  • इनका उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए क्योंकि ये भविष्य में समाप्त हो सकते हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का महत्व

  1. जीवन के लिए आवश्यक:
  • जल, वायु, मिट्टी और खाद्य संसाधन हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी हैं।
  1. आर्थिक विकास:
  • प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग उद्योग, कृषि और ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है।
  1. पारिस्थितिक संतुलन:
  • वन, नदियाँ, और जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन

मानवीय गतिविधियों के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जिसके निम्नलिखित परिणाम हैं:

  1. वनों की कटाई:
  • वन्यजीवों का आवास नष्ट होना और जलवायु परिवर्तन।
  1. जल संकट:
  • भूजल स्तर का गिरना और नदियों का प्रदूषित होना।
  1. वायु प्रदूषण:
  • जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
  1. मिट्टी की गुणवत्ता में कमी:
  • अत्यधिक खेती और रसायनों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  1. जल संरक्षण:
  • वर्षा जल संचयन, जल का सही उपयोग, और नदियों को प्रदूषण से बचाना।
  1. वन संरक्षण:
  • वृक्षारोपण, वन्यजीव अभयारण्यों की स्थापना, और अवैध कटाई रोकना।
  1. ऊर्जा संरक्षण:
  • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (सौर, पवन, जल) का उपयोग बढ़ाना।
  1. कचरा प्रबंधन:
  • प्लास्टिक का कम उपयोग, कचरे का पुनर्चक्रण (Recycling), और जैविक खाद बनाना।

सतत विकास (Sustainable Development)

सतत विकास का अर्थ है कि हम वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करें लेकिन भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों को संरक्षित रखें। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग।
  2. पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों का विकास।
  3. जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण।
  4. शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना।

निष्कर्ष

प्राकृतिक संसाधन हमारे जीवन का आधार हैं। इनका सही उपयोग और संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। यदि हम इन संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं, तो भविष्य में हमें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसलिए, हमें सतत विकास के सिद्धांतों को अपनाना चाहिए और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहना चाहिए।

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